वाराणसी में एक करोड़ 40लाख की डकैती मामले में सात पुलिसकर्मी बर्खास्त।
एक साथ सात पुलिस कर्मियों की बर्खास्तगी जिले में मचा हड़कंप।
Sk News Agency-UP
जनपद –वाराणसी
वाराणसी स्टेट गुजरात की एक फर्म के कार्यालय में एक करोड़ 40लाख रुपए की डकैती मामले में दोष जागर होने के बाद तत्कालीन थानाध्यक्ष भेलूपुर रमाकांत दुबे, दरोगा महेश कुमार ,सुशील कुमार ,उत्कर्ष चतुर्वेदी सहित सात पुलिसकर्मियों को पुलिस की सेवा से बर्खास्त कर दिया गया है। बर्खास्त पुलिसकर्मियों में इंस्पेक्टर रमाकांत दुबे 1998 बैच का सब इंस्पेक्टर है। और कुछ दिनों बाद वह पदोन्नति पाकर डिप्टी एसपी बनने जा रहा था।आपको बता दें कि सुशील कुमार 2017 बैच का और उत्कर्ष चतुर्वेदी को महेश कुमार 2019 बैच के दरोगा है ।चारों पर हुई कार्यवाही को लेकर पुलिसकर्मियों ने दबी जुबान से कहा कि सुशील उत्कर्ष और महेश के कैरियर की तो अभी शुरुआत ही हुई थी।मगर सभी ने नौकरी के साथ ऐसा मजाक किया कि निकट भविष्य में उसकी भरपाई संभव नहीं दिखाई देती है।
पुलिस का दोहरा चरित्र खुलकर सामने आ गया
बैजनत्था क्षेत्र की आज शंकराचार्य कानूनी मैं स्थित गुजराती फर्म की कार्यालय में 29 मई की राधा का डाला गया और एक करोड़ 40 लाख रुपए की लूट हुई। इसकी सूचना भेलूपुर थाने की पुलिस को थी। लेकिन प्रभावी कार्रवाई नहीं की गई बाद में लावारिस कार की डिक्की से 92.94 लाख रुपए से ज्यादा की बरामदगी दिखाकर पीठ थपथपा ने की कोशिश की गई। मामला जैसे ही जिले के उच्चाधिकारियों के पास पहुंचा। वैसे ही पुलिस का दोहरा चरित्र खुलकर सामने आ गया। पता चल गया कि सब कुछ पुलिस कर्मियों की मिलीभगत से हुआ है तो इसका संज्ञान लेकर भेलूपुर के तत्कालीन थाना प्रभारी रमाकांत दुबे ,दरोगा महेश कुमार, उत्कर्ष चतुर्वेदी, सुशील कुमार व कांस्टेबल महेंद्र कुमार पटेल ,शिवचंद्र ,कपिल देव पांडे को निलंबित कर दिया गया। जांच पड़ताल और आगे बढ़ी तो मामले में संलिप्तता उजागर होने के बाद सबको पुलिस सेवा से बर्खास्त कर दिया गया है। इस कार्यवाही से कमिश्नरेट के पुलिस कर्मियों में हड़कंप मच गया है।
आपको बताते चलें की मामला सामने आने पर पुलिस कमिश्नर अशोक मूथा जैन ने मामले की जांच डीसीपी काशी आर एस गौतम को दी थी। जिसके बाद जांच के आधार पर सभी सात पुलिसकर्मियों को निलंबित कर दिया गया था।
जितनी बरामद की दिखाई गई उससे कहीं ज्यादा अधिक थे पैसे
लावारिस कार से 92. 94 लाख रुपए बरामद होने के बाद भेलूपुर थाने की तत्कालीन थाना प्रभारी निरीक्षक सहित 7 पुलिसकर्मी बर्खास्त कर दिए गए । इस बर्खास्तगी की कार्रवाई से कमिश्नरेट प्रणाली वाराणसी पुलिस विभाग में हड़कंप मच गया और लगातार चर्चा चल रही है। पुलिसकर्मियों का कहना था कि पैसे की गिनती सीसीटीवी कैमरे के सामने हुई थी जितनी बरामद की दिखाई गई है पैसा उससे कहीं ज्यादा था हिस्से में मिलने वाली पैसे को लेकर असंतुष्ट एक दरोगा ने एक अफसर से पूरे प्रकरण के बारे में चर्चा कर दी थी। इसके बाद बाजी पूरी तरह से पलट गई पैसा कोई और दवा ले गया और कार्यवाही की जद में 7 पुलिसकर्मी आ गए ।एक पुलिसकर्मी ने कहावत से भी जोड़ा और कहा कि वाराणसी में कहा जाता है कि “खेत खाए गधा और मारा जाए जुलाहा” इस पूरे प्रकरण में दंडित पुलिसकर्मियों की स्थिति ऐसी ही है।
भ्रष्टाचार में पहले भी खाकी पर पहले भी गिर चुकी है गाज
पुलिस महकमे में भ्रष्टाचार करने वाले कर्मियों की सूची बड़ी लंबी है। बीते 25 मई को सारनाथ और कैंट थाने में तैनात रहे हेड कॉन्स्टेबल विनय कुमार प्रशांत सिंह और दीपक कुमार को रंगदारी मांगने सहित अन्य आरोप में गिरफ्तार करके जेल भेजा जा चुका है। 11 मई को जंसा थाने में तैनात दरोगा अभिषेक वर्मा को एक लाख रुपए की घूस लेते हुए भ्रष्टाचार निवारण संगठन की टीम ने लगे हाथ पकड़ा था।
इससे पहले घूस लेते हुए दरोगा महेश सिंह और गीता यादव को दिसंबर 2021 में पुलिस सेवा से बर्खास्त किया जा चुका है।
बाराणसी पुलिस की क्राइम ब्रांच और उसके बाद जौनपुर में तैनात रहे दुष्कर्म सहित अन्य मुकदमा के आरोपी निरीक्षक अमित कुमार को नवंबर 2023 में पुलिस सेवा से बर्खास्त किया जा चुका है।
वाराणसी पुलिस कमिश्नरेट के पुलिस आयुक्त मुथा अशोक जैन ने मीडिया से कहा कि बर्खास्त पुलिसकर्मियों की अपराधिक संलिप्तता उजागर हुई है। भेलूपुर थाने में दर्ज डकैती के मुकदमों की विवेचना में आए तथ्यों के हिसाब से आगे की कार्रवाई की जाएगी ।बताया जा रहा है कि बर्खास्त पुलिसकर्मियों पर गिरफ्तारी की तलवार भी लटक रही है।
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