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कौन बनेगा लोकसभा अध्यक्ष, पक्ष विपक्ष के प्रत्याशी आमने-सामने।

इतिहास में तीसरी बार पढ़ेंगे लोकसभा अध्यक्ष के लिए वोट।

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प्रधान संपादक की कलम से————लोकसभा अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के पद को लेकर सत्ता पक्ष और विपक्ष में सहमति नहीं बनने के कारण ब लोकसभा अध्यक्ष के लिए मतदान होना लाजमी है।क्योंकि सत्ता पक्ष विपक्ष को उपाध्यक्ष का पद देने के लिए राजी नहीं है।जो के अमूमन विपक्ष के पास रहता आया है।और यह पद विपक्ष को उसे स्थिति में नहीं मिलता है जब मुख्य विपक्षी दल के पास नियमानुसार सांसद नहीं होते हैं।ऐसा एक दशक से लगातार होता आया है। इस पद के लिए मुख्य विपक्षी दल के पास कम से कम 54 सांसद होने चाहिए।पिछले एक दशक से यह संख्या मुख्य विपक्षी दल के पास नहीं थी। आज मंगलवार को राजनीतिक गलियारों जमकर सस्पेंस बना हुआ है।आपको बताते चलें कि एनडीए ने ओम बिरला को लोकसभा अध्यक्ष पद के लिए मैदान में उतार दियाहै।तो दूसरी ओर विपक्ष ने भी लोकसभा उपाध्यक्ष का पद विपक्षको न दिए जाने की वजह से  विपक्ष ने कांग्रेस के वरिष्ठ सांसद के.सुरेश को लोकसभा अध्यक्ष  के पद का उम्मीदवार बना दिया है।और दोनों प्रत्याशियों ने अपना नामांकन भी भर दिया है।जिसका मतदान कल बुधवार को सुबह 11:00कराया जाएगा।

इतिहास में तीसरी बार हो रहा है लोकसभा अध्यक्ष का चनाव

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ज्ञात रहे कि यह चुनाव देश में पहली बार नहीं हो रहा है, बल्कि यह चुनाव तीसरी बार होने जा रहा है।आपको बताते चलें कि यह चुनाव पहले बार 1952 में भी कराया जा चुका है। जिसमें जीबी मावलंकर शंकर संताराम मोरे उम्मीदवार थे।जिसमें सत्ता पक्ष के उम्मीदवार मावलंकर को 394 वोट मिले थे और विपक्ष के उम्मीदवार संताराम मोरे को कुल 55वोट ही मिले थे।और इसमें दिलचस्प बात यह थी कि विपक्ष के उम्मीदवार संतराम मोरे ने भी सत्ता पक्षके उम्मीदवार मांवलंकर को अपना वोट दिया था।दूसरी बार यह देश में चल रहे आपातकाल के समय सन, 1976 में कराया गया था। जिसमें सत्ता पक्ष के बलिराम भगत और विपक्ष के जगन्नाथ राव के बीच मुकाबला हुआ था।जिसमें सत्ता पक्ष के बलिराम भगत की जीत हुई थी।और तीसरी बार अब 2024 में कराया जा रहा है।जिसमें एनडीए के उम्मीदवार ओम बिरला और इंडिया गठबंधन के के सुरेश के बीच मुकाबला होना है।आपको बताते चलें कि इस चुनाव में एनडीए गठबंधन ने 292 (जिसमें 240 सीटें भाजपा की खुद की है) जीती हैं,और विपक्षी इंडिया  गठबंधन ने 234(जिसमें कांग्रेस पार्टी ने 99 सीटें अपने दम पर जीती हैं) सीटों पर विजय हासिल की है।

आपको बताते चलें कि ओम बिरला का विरोध इसलिए भी किया जा रहा है कि विपक्ष की और ध्यान न देकर इन्होंने सत्ता पक्ष की ओर अधिक ध्यान दिया। और विपक्ष को उनकी कार्यशैली नागवार गुजरी है।अमूमन लोकसभा अध्यक्ष उस व्यक्ति को बनाया जाता है जिसका लोकसभा में लंबा कार्यकाल हो।

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