26 मार्च, 1953 को अमेरिकी चिकित्सा शोधकर्ता डाॅ. जोनास साल्क ने एक राष्ट्रीय रेडियो शो में घोषणा कर कहा था कि उन्होंने ‘पोलियोमाइलाटिस’ (पोलियो) के टीके या वैक्सीन का सफल परीक्षण किया है। यह वायरस अपंग बीमारी का कारण बनता है, जो मुख्य रुप से छोटे बच्चों को अपनी चपेट में लेता है।
अपने प्रयासों के लिए डाॅ. साल्क को अपने समय के महान चिकित्सक-परोपकारी के रुप में जाना जाता है।
डाॅ. जोनास साल्क का जन्म 1914 में न्यूयाॅर्क शहर में हुआ था। उन्होंने पहली बार 1930 के दशक में वायरस पर शोध किया था, जब वह न्यूयाॅर्क विश्वविद्यालय में एक मेडिकल छात्र थे। द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान उन्होंने फ्लू का टीका विकसित करने मे मदद की थी। 1947 में वह पिट्सबर्ग विश्वविद्यालय में एक शोध प्रयोगशाला के प्रमुख बने और 1948 में पोलियो वायरस का अध्ययन करने और इसकी वैक्सीन बनाने के लिए उन्हें अनुदान दिया गया था। 1950 तक, उनके पास पोलियो के टीके का प्रारंभिक वर्जन उपलब्ध था। 1954 में 1.3 मिलियन अमेरिकी छात्रों पर वैक्सीन का परीक्षण शुरु हुआ। अप्रैल 1955 में यह घोषणा की गई कि टीका प्रभावी और सुरक्षित था। इसके बाद एक राष्ट्रव्यापी टीकाकरण अभियान शुरु हुआ।
पोलियो एक ऐसी बीमारी है,जिसने कई बार मानवता को प्रभावित किया है। यह वायरस तंत्रिका तंत्र पर हमला करता है और पक्षाघात का कारण बनता है। चूंकि वायरस आसानी से फैलता है,इसलिए 20वीं सदी के पहले के दशकों में यह एक महामारी का रुप ले चुका था।
आज डाॅ. साल्क के प्रयासों के कारण हम पोलियो जैसी खतरनाक बीमारी से लड़ने में सक्षम हैं। मानवता के क्षेत्र में अपने इस योगदान के लिए जोनास साल्क को 1977 में प्रेसिडेंशियल मेडल ऑफ फ्रीडम अवाॅर्ड से सम्मानित किया गया। 1995 में कैलिफोर्निया में उनका निधन हो गया।
कुलदीप मिश्र
राज्य ब्यूरो प्रमुख
उत्तर प्रदेश
आप आने वाले लोकसभा चुनाव में किसको वोट करेंगे?