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18वीं लोकसभा में यह आए हैं निर्दलीय जीतकर।

देश में सात सांसद निर्दलीय चुने गए हैं, जो कि अलग-अलग राज्यों से हैं।

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SK News Agency- New Delhi
झांसी की ब्यूरो चीफ पायल विश्वकर्मा की कलम से—-एनडीए और इंडिया के कड़े मुकाबले में कुछ सांसद ऐसे भी हैं जो निर्दलीय जीत कर संसद में पहुंचे हैं। ऐसे नेताओं के बारे में हम देंगे आपको जानकारी———-
1. राजीव रंजन उर्फ पप्पू यादव
बिहार की पूर्णिया लोकसभा सीट से राजीव रंजन और पप्पू यादव निर्दलीय सांसद चुने गए हैं। वह इस बार सहित छठवीं बार सांसद बने हैं। जिसमें से वह तीन बार पूर्णिया लोकसभा क्षेत्र से निर्दलीय लोकसभा पहुंचे हैं। जिसमें वह एक बार समाजवादी पार्टी से और दो बार राष्ट्रीय जनता दल से संसद पहुंच चुके हैं। आपको बता दें कि उन्होंने अपना एक राजनीतिक दल जन अधिकार पार्टी के नाम से बनाया था और उसका वह लोकसभा चुनाव से पूर्व कांग्रेस में विलय कर चुके हैं। उनकी पत्नी रंजीता रंजन भी कांग्रेस पार्टी से राज्यसभा सांसद हैं।
2. चंद्रशेखर आजाद रावण
चंद्रशेखर आजाद रावण आजाद समाज पार्टी ( काशीराम) के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं और उन्होंने उत्तर प्रदेश के नगीना लोकसभा सीट से चुनाव में जीत हासिल की है। उन्होंने यह जीत लगभग डेढ़ लाख वोट के अंतर से हासिल की है।
3. पटेल उमेश भाई
पटेल उमेश भाई ने दमन और दीप लोकसभा सीट से बतौर निर्दलीय जीत हासिल की है। जिसमें उन्होंने तीन बार के बीजेपी सांसद लालू भाई पटेल को शिकस्त दी है।आपको बता दें कि बिजनेसमैन पटेल उमेश भाई की पहचान एक सामाजिक कार्यकर्ता की रही है।
4. मोहम्मद हनीफा
मोहम्मद हनीफा लद्दाख लोकसभा क्षेत्र से बतौर निर्दलीय सांसद निर्वाचित हुए हैं। आपको बता दें कि मोहम्मद हनीफा नेशनल कांफ्रेंस राजनीति में सक्रिय रहे हैं। आपको बता दें कि लद्दाख लोकसभा क्षेत्र को जब उनकी पार्टी ने कांग्रेस के समर्थन का ऐलान कर दिया तो उन्होंने पूरी कारगिल यूनिट के साथ पार्टी को तिलांजलि दे दी थी। और उन्होंने लोकसभा चुनाव जब लड़ने का फैसला ही कर लिया था तो उन्होंने निर्दलीय चुनाव लड़ना उचित समझा और इस चुनाव में विजय श्री हासिल की।
5. विशाल पाटिल
विशाल पाटिल ने महाराष्ट्र की सांगली लोकसभा सीट से निर्दलीय चुनाव जीता है। वह महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री रहे बसंत दादा पाटिल के पोते हैं। आपको बता दें कि विशाल पाटिल सांगली लोकसभा सीट से कांग्रेस से टिकट मांग रहे थे। लेकिन यह सीट शिवसेना (यूपीटी) के खाते में चली गई। तो उन्होंने निर्दल ही चुनाव लड़ने का फैसला किया और उन्होंने भाजपा के वर्तमान सांसद संजय काका पाटिल को करीब एक लाख से अधिक वोटों से हरा दिया।
6. अमृत पाल सिंह
अमृतपाल सिंह ने खडूर साहिब सीट से निर्दलीय चुनाव जीता है, जो कि पंजाब की लोकसभा सीट है। आपको बता दें कि अमृतपाल सिंह खाली स्थान समर्थक हैं और उनके खिलाफ राजद्रोह और राष्ट्रीय सुरक्षा कानून सहित कई गंभीर धाराओं में 16 अभियोग पंजीकृत हैं। पिछले साल अप्रैल माह में उनकी गिरफ्तारी हुई थी। और वह वर्तमान में असम की डिब्रूगढ़ कारागार में बंद है।
7. सबरजीत सिंह खालसा
समरजीत सिंह खालसा ने पंजाब की फरीदकोट लोकसभा सीट से बतौर निर्दलीय लोकसभा का चुनाव जीता है। आपको बता दें कि सबरजीत सिंह पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के मामले में सजायाफ्ता रहे बेअंत सिंह के पुत्र हैं। सरबजीत सिंह पहली बार तब चर्चा में आए थे जब 2015 में उन्होंने गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबी का मुद्दा उठाया था। और उन्होंने यह लोकसभा चुनाव सिख संगत के कहने पर ही लड़ा था और जीत हासिल की है।

पायल विश्वकर्मा

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