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राज्य सरकार के इस फैसले को इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने किया रद्द।

उच्च न्यायालय ने कहा चिकित्सा अवकाश के दौरान कर्मचारी वेतन पाने का है हकदार।

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जनपद-प्रयागराज 

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न्यूज एजेंसी संवाद सूत्र———-इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार के एक फैसले को पलटते हुए निर्देश दिया है कि एक कर्मचारी जो पक्षाघात से पीड़ित है और जो अपनी बीमारी की विकट स्थिति के कारण कार्यालय में आने की स्थिति में नहीं है।वह कर्मचारी चिकित्सा अवकाश के दौरान भी वेतन पाने का पूरा हकदार है।उच्च न्यायालय की न्यायमूर्ति अजीत कुमार ने यह टिप्पणी एक कर्मचारी 2020 में बच्चा कहां से पीड़ित होने के बाद मरने से पहले संयुक्त महानिदेशक पंजीकरण के कार्यालय में अर्दली के रूप में कार्यरत था । मृत्यु हो जाने के बाद कर्मचारी की पत्नी ने पेंशन और अन्य प्रकार के  बकाये को प्राप्त करने के लिए संबंधित अधिकारियों से संपर्क किया। इस भुगतान को प्राप्त करने में कठिनाइयों का सामना करने पर याचिका करता राहत के लिए इलाहाबाद उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था।  सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति अजीत कुमार ने यह भी पाया कि ऐसा निर्णय विकलांग व्यक्तियों के अधिकार अधिनियम 2016 के प्रावधानों का उल्लंघन है।न्यायालय ने कहा ने कहा कि यदि याचिकाकर्ता का पति (कर्मचारी) पक्षाघात से पीड़ित था, और कार्यालय में उपस्थित होने के लिए उपयुक्त शारीरिक स्थिति में नहीं था, तो ऐसा व्यक्ति निश्चित रूप से राज्य सरकार से सुरक्षा प्राप्त करने का अधिकारी था, जिसे एक आदर्श नियुक्ता के रूप में कार्य करना था।इसलिए याचिकाकर्ता का पति उस अवधि के लिए पूरी तरह से वेतन पाने का हकदार था।इस तरह सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति अजीत कुमार ने राज्य सरकार के फैसलों को रद्द कर दिया। और वेतन देने का आदेश जारी किया।

खबर—- संवाद सूत्र एवं मीडिया रिपोर्ट्स के आधार पर

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