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बहराइच हिंसा के आरोपियों के एनकाउंटर पर पूर्व पुलिस महानिदेशक ने उठाए सवाल

एनकाउंटर कार्यवाही को बताया पुलिस पर राजनीतिक दबाव

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(व्यूरो डेस्क)————–बहराइच हिंसा के आरोपियों के एनकाउंटर पर विपक्ष तो सवाल खड़े कर ही रहा है , अब प्रदेश के पूर्व पुलिस महानिदेशक रहे सुलखान सिंह ने भी पुलिस कर्यवाही पर अपना बयान दिया है।उनका कहना है कि अगर पुलिस द्वारा आरोपियों को घर से ले जाकर एनकाउंटर  किया गया है। और वह दिखाया कहीं और जगह से गया है तो इसकी जांच अवश्य होनी चाहिए।उन्होंने कहा कि आरोपियों के परिजनों का आरोपहै कि पुलिस घर से उठा कर ले गई है।तो बाहर  गिरफ्तारी दिखना गलत है और उसे दौरान पैर में गोली मारना तो बेहद गंभीर जुर्म है, और यह जुर्म हत्या का प्रयास करना माना जाएगा।उन्होंने कहा कि यह जांच अवश्य सीबीसीआईडी से होनी चाहिए। क्योंकि स्थानीय पुलिस की  कार्यवाही पर सवाल उठ रहे हैं।उन्होंने आगे कहा कि पुलिस दवाव में कार्यवाही करने की वजह से निष्पक्ष कार्यवाही करने में असमर्थ सी प्रतीत हो रही है।उन्होंने कावड़ यात्रा के दौरान कावड़ियों द्वारा आगजनी एवं तोड़फोड़ करने के बावजूद भी कोई भी कार्यवाही नहीं करने पर भी सवाल उठाया।उन्होंने कहा कि कौशांबी मैं जुलूस के दौरान मुसलमानों के घर पर रंगडाला गया।और वीडियो बनाने पर वीडियो बनाने वाले का मोबाइल छीन लिया गया। इसी बात को लेकर झगड़ा हो गया।वहां पुलिस ने थोड़ी कार्यवाही की हिम्मत की तो प्रभारी निरीक्षक और चौकी इचार्ज को सस्पेंड होना पड़ा।इस बात से प्रतीत  होता है कि  यदि पुलिस कार्यवाही करती है तो उसे दंड मिलता है। और अगर कार्यवाही नहीं करती है तो बहराइच जैसा कांड हो जाता है।पुलिस में अजीब सी असमंजस की स्थिति बन गई है।इस पर सरकार को बहुत गंभीरता से विचार करना चाहिए।पूर्व डीजीपी केअनुसार जनपद बहराइच में जो दंगा हुआ उसमें नीचे से लोग उकसा रहे थे। धर्म विशेष का झंडा उखाड़ लिया गया।रेलिंग को तोड दिया गया। यह सभी कृत्य अपराधी गतिविधियों में आते हैं ।यह सब करने वाले दोषियों पर भी कार्यवाही होनी चाहिए।उन्होंने  उदाहरण दिया कि 250 पुलिसकर्मी उत्तर प्रदेश की जेलों की सलाखों के पीछे हैं। पुलिस कर्मियों को इनसे  सबक लेना चाहिए।उन्होंने आगे कहा कि एनकाउंटर नीति का विषय नहीं है।यदि अपराधी पुलिस पर फायरिंग या पुलिस अभिरक्षा से भागने का प्रयास करता है तो पुलिस बल प्रयोग करेगी या फायरिंग करेगी। जिसका हमारे भारतीय कानून में स्पष्ट प्रावधान है।

खबर —-न्यूज़ एजेंसी समाज सूत्र एवं मीडिया रिपोर्ट्स के आधार पर

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