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जयंत के भाजपा में जाने से किसान यूनियन (टिकैत गुट)नाराज।

एनडीए गठबंधन में शामिल होने पर रालोद को एक मंत्री पद और दो सीट लोकसभा की मिली हैं।

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07/जनवरी/2024

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न्यूज़ एजेंसी संवाद सूत्र———————–राष्ट्रीय लोक दल के अध्यक्ष जयंत चौधरी भी अपने पिताके पद के पद चिन्हों पर चलते हुए इंडिया गठबंधन को छोड़ एनडीए गठबंधन में शामिलहो गए हैं।जहां पर जयंत चौधरी की पार्टी को उत्तर प्रदेश की सरकार में एक मंत्री पद मिला है, और होने जा रहे लोकसभा के चुनाव में दो सीटें बागपत और बिजनौर मिली है।इस गठबंधन पर भारतीय किसान यूनियन (टिकैत ) की राष्ट्रीय अध्यक्ष नरेश टिकैत ने बागपत म पत्रकार वार्ता में खास नाराजगी जताई है।उन्होंने पत्रकारोंसे बातचीत करते हुए कहा कि जयंत ने इंडिया में शामिल होते हुए हमारी सलाह नहीं ली है।जबकि उनके परिवार से हमारे रिश्ते तीन पीढियां से लगातार चल आ रहे हैं।उन्होंने आगे बातचीत करते हुए कहा कि हमें गठबंधन से कोई खास एतराज नहीं है।उन्होंने कहा कि अगर गठबंधन सच्चेदिल से किया गया है तो भविष्य में भी बदस्तूर चलता रहेगा।और अगर काले मन से किया गया है तो कुछ समय बाद टूट जाएगा।उन्होंने ईवीएम की तुलना मोबाइलफोन से करते हुए कहा कि इसमें कुछ तो गडबड है।उन्होंने कहा कि अगर लोकसभा चुनाव ईवीएम मशीन से कराये गए तो भाजपा ही जीतेगी।आपको बताते चलें कि जयंत के भाजपा मैं शामिल होने पर भारतीय किसान यूनियन ही नहीं पश्चिमी उत्तर प्रदेश काआमकिसान भी नाराज होगया है।लोगोंका कहना है कहना है कि जयंत चौधरी कुछ समय पहले तक तो खुद को पिताकी रहा से अलग चलता हुआ नेता बनाये हुए थे।और यह लग रहा था कि यह पिताकी राह पर नहीं चलगे।मगर जयंत चौधरी पिता की राह पर चलते हुए दिखाई दिए।पश्चिमी जनता जनार्दन ने जिस तरीके से चौधरी अजीत सिंह को सरमाथे पर बिठाया था। मगर उनकी सत्तालोलुपता की वजह से बार-बार गठबंधन करना और तोड़ना उनका शगल बन गया।उसका नतीजा यह हुआ कि इस पश्चिमी उत्तर प्रदेश की जनता जनार्दन ने लोकसभा के साथ-साथ विधानसभा चुनाव में भी धूल चटा दी थी।और अजीत सिंह और उनके पुत्र जयंत चौधरी को भी पराजय का सामना करनापड़ा था।और उनकी पार्टी राज्य स्तर की पार्टी का भी दर्जा खो चुकी है।वह तो भला हो समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव का जिन्होंने अपनी पार्टी के कोटे से जनता जनार्दन द्वारा पैदल किए गए जयंत चौधरी को राज्यसभा में भेजा। और यूपी विधानसभा चुनाव 2022में रालोद  से गठबंधन करके उनको  आधा  दर्जन से अधिक सीटें भी जितवा दीं। जबकि अखिलेश यादव ने बड़ा दिल दिखाते हुए लोकसभा चुनाव में सात सीटें ऑफर की थीं। मगर उनको सात सीटें काम लगी और भारतीय जनता पार्टी द्वारा दी गई दो सीटें उनको ज्यादा लगीं,और इंडिया गठबंधन छोड़ एनडीए गठबंधन में शामिल हो गए। सूत्रों का कहना है कि आनेवाले बाले चुनावों में जयंत चौधरी को इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा।

खबर— न्यूज़ एजेंसी संवाद सूत्र एवं मीडिया रिपोर्ट्स केआधार पर

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