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सच कहना गुनाह है यहां और सत्तापक्ष की अश्लीलता नवीन हास्य विधा :

बेशकीमती लिबासों , 3 लाख का चश्मा ,साढे छ: लाख के स्टाइलिश जूते,सवा लाख का पेन शहंशाहों जैसे शौक वाला इंसान साढे आठ हजार करोड़ के हवाई जहाज से जब-जब उत‌रता है तब-तब भारत माता का सिर शर्म से झुक जाता है। फिर यह इंसान 40 करोड़ की कार में सवार होकर भारी सुरक्षा व्यवस्था और फालतू के तामझाम और मीडिया के कैमरों के अतिरिक्त निजी कैमरामैनों से हर एंगल से घिरा वह इंसान मंच पर आसीन होता है और वहां खड़े होकर रेलवे स्टेशन पर चाय बेचने रामजाने सच्ची-झूठी कहानियां सुनाकर घड़ियाली आंसूं बहाने लगता है और भारतीय जनमानस स्वभाववश भावुक हो जाती है।


अगले सीन में वह पद की गरिमा को तार-तार करते हुए मंच से गरजते हुए पूछता है कि कौन है वह राष्ट्रीय विधवा जो गरीबों का हक मार रही है ? लोगों को कायदे से समझ आ जाए इसलिए वो एक बारफिर पूछता है कौन है वो कांग्रेस की विधवा ?

यह इंसान दुनिया के शीर्ष अर्थशास्त्रियों में से एक ,उम्र में कम से कम 15 साल बड़े और देश में 10 साल तक प्रधानमंत्री रहे व्यक्ति को अपनी घटिया वाचाल भाषा में लोकसभा में अपमानित करता है और उसकी पार्टी के सांसद ठहाका लगाकर मेजें थपथपाते हैं। वही कांग्रेस अध्यक्ष खरगे के बयान पर “पर उपदेश कुशल बहुतेरे” की तर्ज़ पर गुजरात चुनाव रैली में सहानुभूति के लिए नाक सुकड़ने लगता है और भाषा की गरिमा की दुहाई देता है‌।
यही महानुभाव इंसान विपक्ष की एक महिला नेता को लोकसभा में शूपणंखा कहते हैं और उनकी हंसी की फूहड़ तरीके से नकल उतारते हुए हंसीं उड़ाते हैं और इनके निर्लज्ज सांसद मेजें थपथपाते और हंसते हैं।

कुलदीप मिश्र
राज्य ब्यूरो प्रमुख
उत्तर प्रदेश

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