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शिक्षक भर्ती के चयनित अभ्यर्थियों ने बेसिक शिक्षा मंत्री का आवास घेरा।

आरक्षण की मांग को लेकर कर रहे प्रदर्शन।

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लखनऊ

69000शिक्षक भर्ती के चयनित 6800 अभ्यार्थियों ने अपनी नियुक्ति की मांग को लेकर आज बुधवार को प्रदेश के बेसिक शिक्षा मंत्री संदीप सिंह के आवास का घेराव कर  प्रदर्शन  किया।और भारी तादाद में महिला अभ्यर्थियों की मौजूदगी में जोरदार तरीके से नारेबाजी की गई।लेकिन शिक्षा मंत्री संदीप सिंह प्रदर्शन कर रहे  अभ्यार्थियों से बिना मिले ही निकल गए।प्रदर्शन की सूचना मिलते ही भारी संख्या में पुलिस वाला आ गया ।और इन्हें जबरदस्ती हिरासत में लेकर आलमबाग स्थित इको गार्डन ले जाया गया। जिसमें कई अभ्यार्थियों के चोटें आई हैं।यहां पर प्रदेश भर के चयनित अभ्यार्थियों  की मांग है कि सरकार उच्च न्यायालय की डबल बेंच में जाकर ठीक से पैरवी करे।भर्ती में आरक्षण नियमावली का पालन नहीं किया गया ,उन्होंने यह भी कहा कि शासन 13 दिन के अंदर स्पेशल अपील में जाएं, जिससे पिछड़े दलित अभ्यर्थयों को  न्याय मिल सके। अन्यथा  पिछड़े दलित अभ्यार्थी सड़क पर प्रदर्शन करने को बाध्य होंगे।आपको बताते चलें कि राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग और राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग ने 29 अप्रैल 2021 को आदेश दिया था कि आरक्षण का पालन करने में हुई विसंगति को सुधारते हुए आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों को नियुक्ति पत्र दिया जाए। और आदेश के उपरांत कई महीने बीत जाने के बाद भी बेसिक शिक्षा परिषद द्वारा आयोग की रिपोर्ट के आदेश का पालन नहीं किया गया। नियुक्त पाने से वंचित अभ्यर्थियों ने लंबे समय तक सड़क पर संघर्ष किया।

सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने सरकार पर सही तरीके से पैरवी न करने का लगाया आरोप।

इस मामले को लेकर समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने सरकार पर तंज कसा है उन्होंने कहा कि 69000 सहायक शिक्षक भर्ती में आया फैसला आरक्षण की मूल भावना की विरोधी भारतीय जनता पार्टी की सरकार की पैरवी सही तरीके से न करने का ही नतीजा है ।भाजपा दलित पिछड़ों का हक मारने के लिए आरक्षण को कानूनी माया जाल में फंसाती है। जाति जनगणना ही इस समस्या का सही समाधान है जिससे कि जनसंख्या के अनुपात में आरक्षण हो सके।

इसे बनाया गया था आधार

याचिकाकर्ताओं के वकील ने उच्च न्यायालय को बताया था कि 69000 सहायक शिक्षक भर्ती प्रक्रिया में आरक्षण नियमावली का सही से पालन नहीं किया गया। यही वजह है कि आरक्षित वर्ग में चयनित 18988 अभ्यर्थियों को जारी कट ऑफ में 65 फ़ीसदी से ज्यादा अंक प्राप्त करने के बावजूद सामान्य श्रेणी की सूची में शामिल नहीं किया गया। अपने आदेश में उच्च न्यायालय  ने यह भी कहा कि ऐसे शिक्षक जिन्हें नियुक्त किया गया है ।और उनका कार्यकाल 2 वर्षों से अधिक समय हो गया है, उन्हें दोषी नहीं ठहराया जा सकता है।

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