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योगी की भारी भरकम फौज आखिर क्यों नहीं जिता पाई दारा सिंह चौहान को।

राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की नाक का सवाल बन गया था घोसी उपचुनाव।

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(ब्यूरो डेस्क )—उत्तर प्रदेश का जनपद मऊ की घोसी विधानसभा का उपचुनाव इंडिया और एनडीए की नाक का सवाल बन गया था। जिसमें भारतीय जनता पार्टी और समाजवादी पार्टी ने अपने-अपने प्रत्याशियों को जिताने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा दिया था।इस उपचुनाव में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी ने दो दर्जन मंत्रियों की फौज और अपने प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी और दोनों उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य और बृजेश पाठक को गली-गली में वोट मांगने के लिए उतार दिया था।इस चुनाव में प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी घोसी में जनसभा  की थी।और उधर समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भी एक जनसभा की थी।और इस चुनाव में घोसी की जनता ने भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी दारा सिंह चौहान को पूरी तरह से नकार दिया।और समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी सुधाकर सिंह के सिर पर जीत का सेहरा सजा दिया।आपको बताते चलें कि इस उपचुनाव में सबसे ज्यादा किरकिरी सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर एवं प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य की हुई है।जो अपने बड़बोलेपन से समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव की बखिया उड़ाने में लगे हुए थे।स्थानी जनता जनार्दन का कहना था की सुधाकर सिंह एक नेक दिल इंसान एवं स्थानीय नेता हैं।और वही दारा सिंह चौहान सत्तालोलुप एवं बाहरी प्रत्याशी हैं। इसके अलावा वह जिस दल से विधायक चुने जाते हैं और उसी दल को बाद में गाली देते हैं।जनता जनार्दन का कहना था कि यदि पुलिस/ प्रशासन सरकार का पिट्ठू बनाकर कार्य नहीं करता तो दारा सिंह चौहान को 10 हजार वोट से कम पर ही संतोष करना पड़ता।इस उपचुनाव में बहुजन समाज पार्टी की अध्यक्ष मायावती ने भी अप्रत्यक्ष रूप से भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी का समर्थन किया था।जिसमें उन्होंने अपने समर्थकों से कहा था कि वह वोट न देकर नोटा पर बटन दबाए।और जब चुनाव परिणाम आए तो मालूम पड़ा कि बसपा अध्यक्ष की अपील का वोटरों पर कोई असर नहीं पड़ा। और नोटा पर 2हजार से भी कम वोट निकले।इसलिए बात स्पष्ट हो गई है कि सड़कों पर सरकार के खिलाफ संघर्ष न करने के कारण बहुजन समाज पार्टी अपना कैडर का वोट भी खोती जा रही है।आपको बता दें कि उत्तर प्रदेश के अंदर सत्ता पक्ष के खिलाफ सड़कों पर उतर कर का संघर्ष कर रही है तो वह सिर्फ समाजवादी पार्टी है।इस चुनाव से यह स्पष्ट हो गया है कि भाजपा के सहयोगी सोहेलदेव भारती समाज पार्टी के अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर एवं निषाद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष संजय निषाद और दोनों उपमुख्यमंत्री के दावे फेल होते दिखाई दिए हैं।जो भाजपा प्रत्याशी दारा सिंह चौहान के भारी अंतर के वोटो से जीत का दावा कर रहे थे।आपको बताते चलें कि इस चुनाव में  उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य एवं सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर ने अपनी जुवानी जंग से नैतिकता को ही समाप्त कर दिया था।और आपको बताते चलें कि सुधाकर सिंह की जीत में अहम भूमिका समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव शिवपाल सिंह यादव की रही है ।जिन्होंने सड़क और गली-गली ,कूचे- कूचे में घूम घूम कर अपने प्रत्याशी को जिताने के लिए दिन-रात एक कर दिया था।जिसमें सपा नेताओं ने सिर्फ एक ही बात कही थी कि यह चुनाव आने वाले 2024 के लोकसभा चुनाव में अपनी अहम भूमिका अदा करेगा।आपको बताते चलें कि इस उपचुनाव ने भारतीय जनता पार्टी को सोचने पर मजबूर कर दिया है। और भारतीय जनता पार्टी को विश्लेषण करना पड़ेगा कि आखिर हमारा प्रत्याशी हारा क्यों?आपको बताते चलें कि भारतीय जनता पार्टी का नारा– हमारी सरकार भ्रष्टाचार के नाम पर जीरो टॉलरेंस पर कम कर रही है।मगर इस सरकार में ना दलाल रुके हैं ना दलाली सिर्फ दलाली का रेट बढ़ गया है, काम पिछली सरकारों की तरह ही चल रहे हैं।और सरकारी योजनाओं का लाभ जनता जनार्दन तक नहीं पहुंच रहा है ।सिर्फ कागजों में विकास चल रहा है।यदि भारतीय जनता पार्टी ने भृष्ट  अधिकारियों पर चाबुक चलाना शुरु नहीं किया। तो आने वाले लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी का सुपड़ा साफ होना तय है।इस सरकार में अधिकारी जो अपने दायित्व का निर्वाह ईमानदारी और कर्तव्य निष्ठा के साथ कर रहे हैं। उनका स्थानांतरण 6 महीने के अंदर किया जा रहा है। और जो सिर्फ चापलूसी कर रहे हैं उनका स्थानांतरण कई कई वर्षों बाद किया जा रहा है।यदि भारतीय जनता पार्टी ने अपने नेताओं के बड़बोलेपन पर रोक नहीं लगाई तो खामियाजा 2024 के लोकसभा चुनाव में और इससे बेहतर भुगतना पड़ेगा।

खबर——-  जनता जनार्दन से बातचीत के आधार पर

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