मोदी के एनडीए में शामिल 38 दलों में से इन 25 दलों का लोकसभा में प्रतिनिधित्व नहीं।
विपक्ष के इंडिया के 26 दलों के मुकाबले भाजपा के एनडीए में शामिल हैं 38 दल।
SK News agency-New Delhi
(ब्यूरो डेस्क)
कॉन्ग्रेस के विपक्षी दलों के साथ ही भाजपा के एनडीए ने भी 18 जुलाई को अपनी ताकत का प्रदर्शन दिखाया।कांग्रेस पार्टी के इंडिया इंडिया के मुकाबले भारतीय जनता पार्टी ने कॉन्ग्रेस के इंडिया गठबंधन से जुड़े 26 दलों के मुकाबले एनडीए से जुड़े 38 दलों को एक मंच पर लाकर खड़ा कर दिया। और यह साबित करने की कोशिश की कि विपक्षी एकता के सामने उनकी ताकत बहुत ज्यादा है।इस जमावड़े को लेकर भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने तंज कसा और सवाल किया है कि 38 दलों में से कितने दलों का रजिस्ट्रेशन हुआ है। और सच्चाई भी यह है कि एनडीए में शामिल 38 दलों में से 25 दलों के पास लोकसभा में कोई प्रतिनिधित्व नहीं है। अब सवाल ये उठता है कि क्य मोदी -अमित शाह की जोड़ी इन दलों के सहारे ही विपक्ष से मुकाबला करेगी।
विपक्ष के 26 दलों के मुकाबले एनडीए में शामिल है 38 दल
भारतीय जनता पार्टी अपने साथ एनडीए में पार्टियों को तो बढ़ाती जा रही है मगर उनका अस्तित्व नहीं देख रही है। भारतीय जनता पार्टी ने देखा कि विपक्ष ने 26 दलों को एक मंच पर ला दिया है तो उसने भी देखा देखी अपने साथ 38 दलों को एक मंच पर लाकर दिखा दिया ।और इसी का नतीजा था कि भारतीय जनता पार्टी ने छोटे-छोटे दलों को भी एनडीए में शामिल होने का न्योत दिया था। और एनडीए का हिस्सा बताकर विपक्ष में खलबली पैदा करना था। मगर शामिल पार्टियों के बैकग्राउंड को नहीं देखा क्या।
एनडीए में शामिल पार्टियों की यह है ताकत
आपको बता दें कि भारतीय जनता पार्टी के साथ जुड़ी इन पार्टियों का कितना प्रतिनिधित्व है और लोकसभा में कितनी इनकी भागीदारी है। एनडीए में शामिल ऐसे कई राजनीतिक दल हैं जिनका लोकसभा में कोई भी प्रतिनिधि नहीं है। और राष्ट्रीय राजनीति में इनकी कोई पहचान नहीं है। एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार 37 दलों का पिछले लोकसभा चुनाव में वोट शेयर मात्र सात प्रतिशत है।और अगर लोकसभा में सीटों की बात की जाए तो इन 37 दिनों में के हिस्से में मात्र 29 सीटें आई थी।जबकि भारतीय जनता पार्टी ने अकेले अपने दम पर 37.3 वोट हासिल करने के साथ लोकसभा की 303 सीटों पर विजय पताका फहराई थी।
इन 16 दलों को एक भी सीट 2019 के लोकसभा चुनाव में नहीं मिली।
चुनाव आयोग के आंकड़ों के मुताबिक 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी के 37 सहयोगी दलों में से 9 दल ऐसे हैं जिन्होंने लोकसभा चुनाव में कोई उम्मीदवार ही नहीं उतारा था।और 16 दल ऐसे भी थे जिन्हें लोकसभा की एक भी सीट नसीब नहीं हुई थी।यानी कि एनडीए के 37 दलों में से 25 दिनों का लोकसभा में कोई भी प्रतिनिधित्व नहीं है।इसके अलावा 7 दल ऐसे हैं जिन्हें लोकसभा की एक एक ही सीट मिल सकी थी।इसके अलावा गौर किया जाए तो एकनाथ शिंदे की शिवसेना के पास 13 सांसद हैं। तो अपना दल सोनेलाल के पास दो सांसद हैं। और लोक जनशक्ति पार्टी के 6 सांसद हैं। और एनसीपी के अजीत पवार की एंट्री के बाद एनडीए की कुल संख्या 332 तक पहुंच चुकी है। भारतीय जनता पार्टी के नए सहयोगी एकनाथ शिंदे ही सबसे बड़े सहयोगी हैं।
इन पार्टियों ने 2019 का नहीं लड़ा था लोकसभा चुनाव
गोवा की महाराष्ट्रवादी गोमांतक पार्टी (एमजीपी) महाराष्ट्र की जन स्वराज्य शक्ति,उत्तर प्रदेश की निर्बल इंडियन शोषित हमारा आम दल (निषाद पार्टी ) ,मणिपुर की कुटी पीपुल्स गठबंधन,हरियाणा की लोक हित पार्टी, केरल की कामराज कॉन्ग्रेस, तमिलनाडु की पूथिया तमिलगम,पंजाब की शिरोमणि अकाली दल संयुक्त (ढींडसा) मेघालय की मेघालय की हिल स्टेट पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी शामिल हैं।
इन दलों का है लोकसभा में एक-एक सांसद
अब बात उन दलों की करते हैं जिनका लोकसभा में केवल एक-एक सांसद है। इनमें मेघालय की नेशनल पीपुल्स पार्टी (एनपीपी)सिक्किम क्रांति मोर्चा (एसकेएम)नागा पीपुल्स फ्रंट (एनपीएफ)ऑल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुन्नेत्र कड़गम (एआईएडीएमके)मिजो नेशनल फ्रंट (एमएनएफ)नागालैंड के मुख्यमंत्री नेफ्यू रियो के नेतृत्व वाली नेशनलिस्ट डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी (एनडीपीपी)ऑल झारखंड स्टूडेंट्स यूनियन (एजेएसयू) नेशनल पीपुल्स पार्टी (एनपीपी) जैसी पार्टियां शामिल है।
भारतीय जनता पार्टी इसलिए खेल रही है छोटी पार्टियों पर दाव
आंकड़ों के बाद अब उस सवाल का जवाब भी मिलना जरूरी है कि आखिर भारतीय जनता पार्टी ने छोटे-छोटे दलों पर यह दाग क्यों खेला है ।पहला कारण हम आपको बता दें कि इससे गिनती नंबर में बीजेपी बिपक्ष से आगे दिखती नजर आएगी ।वही इसका दूसरा कारण यह है कि छोटे दल उन सीटों पर अहम भूमिका निभा सकते हैं जहां 2019 के लोकसभा चुनाव में जीत हार का अंतर काफी कम था।
इन छोटी पार्टियों से इन राज्यों में मिलेगा भाजपा को फायदा
इस प्रकार बाकी अन्य राज्यों में भी इन छोटे दलों का जिला स्तर पर काफी प्रभाव है। जो बीजेपी के लिए कुछ सीटों पर फायदा पहुंचा सकते हैं। जैसे उत्तर प्रदेश में सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी, महाराष्ट्र में एकनाथ शिंदे और अजीत पवार तथा रामदास अठावले, असम राज्य में असम गण परिषद, त्रिपुरा में इंडिजिनिस पीपल्स फ्रंट ऑफ त्रिपुरा (आईपीएफटी) हरियाणा में जननायक जनता पार्टी और पंजाब में शिरोमणि अकाली दल (ढींडसा) मिशन 2024 में लगाएंगे भारतीय जनता पार्टी की नैया पार।
रिपोर्ट —-मीडिया न्यूज़ नेटवर्क
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