मंत्रियों के निजी सचिव बनकर चला रहे थे ट्रांसफर- पोस्टिंग का धंधा, एक गिरफ्तार।
गाजियाबाद पुलिस ने किया ट्रांसफर पोस्टिंग के खेल का पर्दाफाश।
Sk News Agency-UP
जनपद -गाजियाबाद
केंद्रीय मंत्रियों का निजी सचिव बनकर देश भर में ट्रांसफर पोस्टिंग का धंधा चलाकर लोगों को ठगने वाली गिरोह का गाजियाबाद पुलिस ने पर्दाफाश किया है।जिसमें गाजियाबाद पुलिस ने एक आरोपी को गिरफ्तार भी किया है उसके कब्जे से 32 सिम भी बरामद किए।ग्रामीण जोन के डीसीपी विवेक चंद यादव ने मीडिया कर्मियों को जानकारी दी कि फर्जी आधार कार्ड पैन कार्ड तथा अन्य दस्तावेजों पर सिम कार्ड जारी कराने के बाद भारत सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों को मैसेज भेज कर धोखाधड़ी करने वाले लोग सक्रिय थे।गिरोह का खुलासा करते हुए एक आरोपी अभिषेक कुमार को गिरफ्तार किया गया है। वह गांव बखरी पसनटकीयुदु थाना बैरगनिया जल बस सीतामढ़ी बिहार राज्य का रहने वाला है। और वर्तमान में वह गाजियाबाद के शाहपुर बम्हैटा के श्रीराम एंक्लेव में रह रहा था।इसकी कब्जे से पुलिस ने 31सिम कार्ड,27 आधार कार्ड ,6 पेनकार्ड और पांच मोबाइल बरामद किए हैं। आरोपी की सभी आईडी पर नाम ,पता अलग-अलग है लेकिन फोटो अभिषेक का ही लगा हुआ है।
भारत सरकार के अहम मंत्रालय के नाम से करते थे गुमराह
गिरोह के अन्य लोग इन फर्जी आईडी के व्हाट्सएप का इस्तेमाल कर देशभर के सीनियर आईएएस और आईपीएस को मैसेज किया करते थे। वह अपना परिचय भारत सरकार के मंत्रियों के निजी सचिव के रूप में देते थे ।और फिर उनसे ट्रांसफर ,पोस्टिंग तथा अन्य काम निकलवाया करते थे। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक आरोपी देशभर के पढ़े और हम मंत्रियों के निजी सचिव बनकर सीनियर आईएएस और आईपीएस अधिकारियों को गुमराह कर चुके हैं।और बताया जा रहा है कि आरोपी कई प्रदेशों के मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक को मैसेज भेज कर ट्रांसफर पोस्टिंग तथा अन्य काम करवा चुके हैं।डीसीपी का कहना है कि अधिकारियों को गुमराह करने वाले लोग चिन्हित कर लिए गए हैं जल्द ही उन्हें गिरफ्तार किया जाएगा।
टेलीग्राम पर ग्रुप बना कर भेजा जाता था व्हाट्सएप का ओटीपी
डीसीपी ने बताया कि अभिषेक कुमार उर्फ अभिषेक मिश्रा, अभिषेक झा, उर्फ अभिषेक तिवारी ,उर्फ अभिषेक ठाकुर बनकर अभिषेक ने अलग-अलग नामों से अपने आधार और पैन कार्ड बनवाएं हुए थे।जिस पर वह सिम कार्ड जारी कर आता था।करीब 2200लोगों के एक टेलीग्राम ग्रुप में उन लोगों को खोजता था जो फर्जी आईडी के सिम पर व्हाट्सएप नंबर चलाने के इच्छुक होते थे ।इच्छा जाहिर करने वाले लोगों से पैसे लेकर वह अपने व्हाट्सएप नंबर बताता था ।और फिर उसका ओटीपी शेयर करता, इसके बदले में वह 200 से ₹500 भी एंठ लेता था।
गिरोह का पहला उद्देश्य- सिर्फ पैसा कमाना
सूत्रों के मुताबिक ग्रहों के साथ किसी आईएएस आईपीएस या उनके समकक्ष अधिकारियों की ट्रांसफर पोस्टिंग की बजाय निचले स्तर के कर्मचारियोंकी ट्रांसफर पोस्टिंग कराते थे। इन कर्मचारियों के ट्रांसफर पोस्टिंग का मैसेज देख कर डीजीपी या मुख्य सचिव स्तर के अधिकारी बिना जांच पड़ताल किए काम कर देते थे । इसके पीछे पहला मकसद सामने आ रहा है कि गिरोह पैसा कमाने के लिए ऐसा कार्य किया करता था।
गिरोह का दूसरा उद्देश्य– अपने लोगों को अहम जगह पर तैनात कराना
गिरोह के सदस्यों द्वारा देश के संवेदनशील एवं गोपनीय और अहम विभागों में भी सिफारिश की गई है। यह देखकर अंदेशा जताया जा रहा है कि गिरोह के सदस्य निचले स्तर पर अपने लोग तैनात कराकर उनका इस्तेमाल किया करते थे।
सूत्रों का कहना है कि मंत्रालय के किसी अधिकारी कर्मचारी की मिली भगत होने का भी अंदाजा लगाया जा रहा है। क्योंकि गिरोह के सदस्यों की तरफ से एक अधिकारी का नाम बताकर और खुद को उनका सचिव बताकर दूसरे अधिकारी को काम कराने के लिए मैसेज किया करते थे। ऐसे ही आशंका जताई जा रही है कि मंत्रालय का कोई अधिकारी /कर्मचारी गिरोह के सदस्यों को उच्च अधिकारियों के नाम ,मोबाइल नंबर उपलब्ध कराने का कार्य कर रहा है।जनपद की पुलिस उन संदिग्ध मोबाइल नंबरों को ट्रेस करने में जुटी है।
खबर —-मीडिया रिपोर्ट एवं न्यूज़ एजेंसी नेटवर्क के आधार पर