प्रभाकर चौधरी को लाठी चार्ज करा कर कानून व्यवस्था बनाना पड़ा महंगा।
प्रभाकर चौधरी को हटाने पर सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भाजपा पर साधा निशाना।
Sk News Agency-UP
राजधानी लखनऊ
ब्यूरो डेस्क–बरेली में शराब पीकर डीजे पर हुड़दंग कर रहे कावड़ियों पर लाठी चार्ज करा कर कानून व्यवस्था को दुरुस्त रखने वाले तेजतर्रार आईपीएस प्रभाकर चौधरी को सरकार ने हटाकर लखनऊ पीएसी में कमांडेंट बना दिया।बरेली के एसएसपी प्रभाकर चौधरी को हटाए जाने के बाद समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भारतीय जनता पार्टी पर निशाना साधा है।उन्होंने मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि भारतीय जनता पार्टी के लोग बरेली में दंगा कराना चाहते थे और जिस अधिकारी ने उस दंगा रोकने को प्रयास किया तो सरकार ने उसे ही हटा दिया।उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश के अंदर जिस अधिकारी ने भ्रष्टाचार का खात्मा और कानून व्यवस्था बनाए जाने का प्रयास किया है उसे सरकार ने जिले में टिकने नहीं दिया।आपको बताते चलें कि उत्तर प्रदेश के अंदर ऐसे कई आईएएस और आईपीएस अधिकारी हैं। जो जनपदों में कई वर्षों से मठाधीश बने हुए हैं ।और उनको सरकार हटाना पसंद नहीं कर रही है।हटाया उसी को जा रहा है जो अपने दायित्व का निर्वाह ईमानदारी और कर्तव्यनिष्ठा के साथ कर रहा है।आपको बता दें कि उत्तर प्रदेश के अंदर आईपीएस अधिकारियों में अभिषेक यादव, बबलू कुमार ,प्रभाकर चौधरी ,अमित पाठक सहित दर्जनों ऐसे आईपीएस अधिकारी हैं ।जिन्होंने कभी किसी एक जनपद में 1 साल का कार्यकाल पूरा नहीं किया। क्योंकि सरकार के पिट्ठू बनकर कार्य करना इनको पसंद नहीं।और सरकार ने ऐसे रेन करो को जनपदों में सेट कर रखा है जो जनपदों में बरसों से मलाई काट रहे हैं। क्योंकि इस सरकार के पिट्ठू बनकर और विपक्ष की आवाज को दबाकर वाहवाही लूटना पसंद करते हैं।आपको बता दें कि कानून व्यवस्था को दुरुस्त रखने वाले युवा तेजतर्रार अधिकारी प्रभाकर चौधरी को हटाना सरकार की किरकिरी बन गया है।क्योंकि समाजवादी पार्टी के अलावा अधिकार सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष पूर्व आईपीएस अधिकारी अमिताभ ठाकुर ने घोषणा कर दी है कि 2 अगस्त को उनकी पार्टी विरोध प्रदर्शन करेगी।अधिकार सेना की राष्ट्रीय प्रवक्ता नूतन ठाकुर ने कहा है कि प्रभाकर चौधरी ने बरेली में कोई गलत नहीं किया था और दंग कर रहे कावड़यों को उन्होंने कानून व्यवस्था हाथ में लेने से रोका था।हल्का बल प्रयोग करना उनकी मजबूरी बन गया था। इसी वजह से मजबूरन उन को लाठीचार्ज करना पड़ा।आपको बता दें कि सरकार भ्रष्टाचार के मामले में जीरो टॉलरेंस जीरो टॉलरेंस का प्रचार कर रही है मगर प्रभाकर चौधरी के हटाए जाने पर यह पोल खुलती दिखाई दे रही है।सरकारी यदि ईमानदार है तो उत्तर प्रदेश के अंदर ज़िलों में जिलाधिकारी एवं पुलिस अधीक्षकों की कमान युवा अधिकारियों के हाथों में क्यों नहीं दे रही है। आपको बता दें कि प्रभाकर चौधरी की जितनी बर्ष की नौकरी नहीं है, उससे दोगुनी बार उनका स्थानांतरण हो चुका है।आखिर क्यों?
खबर—-जनता जनार्दन से बातचीत के आधार पर विशेष रिपोर्ट
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