प्रथम चरण के मतदान में उत्तर प्रदेश की 8 सीटों पर हुए चुनाव में चली सत्ता विरोधी लहर।
प्रदेश में प्रथम चरण में हुए 8 सीटों पर मतदान में चारों तरफ दिखाई दी सत्ता विरोधी लहर।

Sk News Agency-UP
ब्यूरो डेस्क —————————कल प्रदेश की 8 सीटों पर हुए मतदान में भारतीय जनता पार्टी को चारों तरफ सत्ता विरोधी लहर का सामना करना पड़ा।हमारी न्यूज़ एजेंसी की टीम जब लोकसभा क्षेत्रों में भ्रमण कर रही थी तो वोटरों ने बताया कि पार्टी की सत्ताधारी केंद्रीय मंत्री एवं सांसदों ने क्षेत्र में कोई विकास का विशेष कार्य नहीं किया है।मुजफ्फरनगर लोकसभा क्षेत्र में तो हमारी टीमको एक जात विशेष के लोगों ने बताया कि केंद्रीय मंत्री ने हमारे युवाओं के लिए कोई कार्य नहीं नहीं किया है।और मुजफ्फरनगर लोकसभा क्षेत्र मैं तो सताधारी पार्टी के एक पूर्व विधायक भी पार्टी के खिलाफ खड़े नजर आए।समाजवादी पार्टीने भारत निर्वाचन आयोग को चुनावके दिन अवगत कराया कि पुलिस प्रशासन सरकार का पिट्ठू बनाकर कार्य कर रहा है।और एक धर्म विशेष के लोगोंको डराया और धमकाया जा रहा है और मतदान को प्रभावित किया जा रहा है।हमारी एजेंसी की टीम से बातचीत करते हुए लोगों ने सरकार के खिलाफ खूब भडास निकाली।लोगों में सरकार की अग्नि वीर योजना के खिलाफ काफी गुस्सा दिखाई दिया।लोगों ने कहा कि वर्तमान सरकार किसानों की विरोधी सरकार है। इसने किसानों पर लाठियां और गोलियां चलवा कर कितने किसानों की जान ले ली है इसे हम भूल नहीं सकते।एक पोलिंग बूथ पर निवर्तमान केंद्रीय मंत्री केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल के जवान को धमकाते हुए भी नजर आए।और अपनी हार को नजदीक से देखते हुए औद्योगिक सुरक्षा बल के एक जाति विशेष के जवान को धमका कर अपनी खींच छुड़ाते हुए दिखाई दिए।
इसी प्रथम चरण में हुए सभी 8 लोकसभा क्षेत्रों में इसी तरह की घटनाएं घटती रहीं।आपको बताते चलें कि इस सत्ता विरोधी लहर का फायदा सत्ताधारी दल का मजबूती के साथ विरोध का सामना कर रही समाजवादी पार्टी को मिलने जा रहा है।लोगों से जब पूछा गया कि और भी दल हैं क्या वह पसंद नहीं है। तो इस पर जवाब मिला कि यदि भारतीय जनता पार्टी की नीतियों का विरोध कर रही है तो सिर्फ और सिर्फ समाजवादी पार्टी ही है।हर जात धर्म के लोगों में सत्ता विरोधी लहर देखने को मिली।लोगों ने बताया कि पहले जब विरोधी पार्टियों द्वारा किसी अधिकारी की शिकायत चुनाव आयोग से की जाती थी, तो चुनाव आयोग तत्काल बिना देर किए उसे अधिकारी को तत्काल प्रभाव से हटा देता था।मगर इस बार ऐसा क्यों नहीं हो रहा है।और इसी का नतीज़ा है कि अधिकारी सत्ता पक्षके पिट्ठू बनकर कार्य कर रहे हैं। और चुनाव आयोग मूकदर्शक बना देख रहा है।
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