पुलिस में स्थानांतरण नीति आखिर कारखासों के ऊपर क्यों नहीं लागू।।
कई बार स्थानांतरण होने के बावजूद क्यों रुके हुए कारखास।
जनपद एटा
पिछले दिनों एक ही थानों में 2 बर्षों से एक ही थानों में जमे निरीक्षक ,उप निरीक्षक एवं सिपाहियों के स्थानांतरण किए जाने के सरकार ने निर्देश दिए थे।मगर जिनकी पहुंच नहीं थी । जो खास जातियों से ताल्लुक रखते थे ।उनको तत्काल रिलीव कर दिया गया। मगर कुछ कार खास आज भी उसी थानों में जमे हुए हैं। और यह कारखास क्षेत्र में जनता जनार्दन से अवैध उगाई के साथ-साथ होमगार्ड विभाग के अवैतनिक अधिकारियों एवं स्वयं सेवकों पर रौब गांठते हैं। और खुद कोई ड्यूटी नहीं करते हैं। सिर्फ थाना प्रभारियों की चापलूसी और चिलम मंजनी करना इनका धेय बन गया है। और उसी को अपने दायित्व का निर्वहन करना समझते हैं। इस जिले में तो ऐसे-ऐसे कारखास थानों में जमे हुए हैं। जिनका स्थानांतरण 4 से 6 बार तक हो चुका है।सत्ताधारी पार्टी के अनुषांगिक संगठन का एक नेता ऐसे कारखासों का स्थानांतरण रोकने में मदद करता है। इसको भी इनकी अवैध कमाई में कुछ ना कुछ हिस्सा जरूर मिलता होगा। जो ऐसे जमीर और स्वाभिमान बेचा पुलिसकर्मियों के स्थानांतरण रुकबाता है।जो अपनी पार्टी के प्रति वफादारी नही बल्कि पार्टी की छवि एवं पार्टी को दोबारा सत्ता में आने से रोक रहा है।जिसने जिंदगी भर 60 साल तक सरकारी नौकरी की है। और उससे उसका पेट नहीं भरा है। और स्थानांतरण रुकवाने और अवैध कमाई से वह अपना तथा अपने परिवार का पेट भरना चाहता है।मगर जनता जनार्दन को भी सब कुछ सच्चाई का पता लग गया है। लोगों का कहना है कि चलो अभी यह फोन करके रुक बाता रहे।चुनाव आचार संहिता लागू होते ही यह इज्जत के साथ नहीं हटे बाइज्जत ऐसे कारखासों को चुनाव आयोग के माध्यम से हटवाया जाएगा।
जनता जनार्दन से बातचीत के आधार पर विशेष रिपोर्ट
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