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पति-पत्नी के एक ही स्थल पर तैनाती होना उनका अधिकार नहीं: हाई कोर्ट

ऐसे ही 36 मामलों पर की गई लखनऊ बेंच में सुनवाई।

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लखनऊ

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न्यूज एजेंसी संवाद सूत्र—————हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने  शुक्रवार को एक पारित अपने महत्वपूर्ण आदेश में स्पष्ट कर दिया कि पति-पत्नी दोनों की सरकारी नौकरी में होने की स्थिति में उनके एक ही तैनाती स्थल पर तैनात किए जाने पर विचार किया जा सकता है,लेकिन यह कोई अपरिहार्य अधिकार नहीं है।उच्च न्यायालय की बेंच ने यह भी स्पष्ट कर दिया है कि पति-पत्नी की एक ही स्थान पर तैनाती तभी संभव है, जबकि इससे प्रशासकीय आवश्यकताओं को कोई क्षति नहीं पहुंच रही हो।ऐसी टिप्पणियों के साथ उच्च न्यायालय की लखनऊ बेंच ने  बेसिक शिक्षा विभाग की ट्रांसफर नीति में हस्तक्षेप करने से स्पष्ट इनकार कर दिया। यह निर्णय लखनऊ बेंच  के न्यायमूर्ति ओमप्रकाश शुक्ला की एकल पीठ ने ऐसी 36 याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए, जिनको सैकड़ो सहायक अध्यापकों की ओर से दाखिल किया गया था।इसमें सहायक अध्यापकों का कहना था कि उनकी जीवनसंगिनी इंटरमीडिएट कॉलेज, पावर कॉरपोरेशन, एनएचपीसी, भेल, भारतीय जीवन बीमा निगम और राष्ट्रीयकृत बैंकों के अलावा बाल विकास परियोजना जैसे पब्लिक रिलेटेड विभागों में तैनात हैं।इसमें बताया गया कि याचियो की तैनाती अपने जीवन साथियों से अलग जनपदों में है।याचियो ने बताया कि 2 जून 2023 को जारी किए गए शासनादेश के अंतर्गत जिन अध्यापकों के पति या पत्नी सरकारी सेवा में कार्यरत हैं, उनके अंतर्जनपदीय तबादले के लिए 10 पॉइंट्स देने की व्यवस्था की गई है।लेकिन 16 जून 2023 को पारित दूसरे शासनादेश में है स्पष्ट कर दिया गया था कि सरकारी सेवा में उन्हें कर्मचारियों को तैनात माना जाएगा, जो संविधान के अनुच्छेद 309 के परंतुक के अधीन आते हैं।न्यायालय द्वारा विस्तृत निर्णय देते हुए बताया गया कि सरकार की नीति में कोई अनियमितता या अवैधता परिलक्षित नहीं होती है।न्यायालय द्वारा यह भी स्पष्ट कर दिया गया कि अनुच्छेद 226 की शक्तियों का प्रयोग करते हुए सरकार या बोर्ड को पॉलिसी बनाने का आदेश जारी नहीं किया जा सकता, और नहीं उपरोक्त पब्लिक सेक्टर के कर्मचारियों को सरकारी सेवा में कार्यरत माना जा सकता है।इसके उलट न्यायालय ने कहा कि दिव्यांग और गंभीर बीमारियों से पीड़ित याचिकाकर्ताओं के मामले पर विचार करने का आदेश बेसिक शिक्षा  बोर्ड को दे दिया गया है।

खबर—न्यूज़ एजेंसी समाज सूत्र एवं मीडिया रिपोर्ट्स के आधार पर

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