तीन जगह पर कल हुए उपचुनाव में खूब उडीं लोकतंत्र की धज्जियां। जिला प्रशासन ने किया भाजपा कार्यकर्ताओं का पिट्ठू बनकर कार्य।
शिकायत के बावजूद भी चुनाव आयोग ने किसी भी अधिकारी को क्यों नहीं हटाया?
लखनऊ
कल 5 नवंबर को हुए एक लोक सभा एवं 2 विधानसभा उप निर्वाचन में पुलिस/प्रशासन ने भाजपा का पिट्ठू बनकर कार्य किया , निर्वाचन आयोग मूकदर्शक बनकर रह गया।आपको बताते चलें के मैनपुरी लोकसभा क्षेत्र में सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव के निधन की वजह से उपचुनाव हुआ है। और रामपुर में समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव मोहम्मद आजम खान को कोर्ट द्वारा दोषी पाए जाने पर उनकी सदस्यता रद्द की गई है, इस वजह से वहां उपचुनाव हुआ है। और जनपद मुजफ्फरनगर की खतौली विधानसभा सीट पर भाजपा विधायक विक्रम सैनी को कोर्ट द्वारा दोषी ठहराए जाने के बाद उनकी सदस्यता रद्द की गई है, इस वजह से वहां उपचुनाव हुआ है।तीनों जगह कल 5 नवंबर को वोट डाले गए हैं।विपक्ष की पार्टी पार्टियों द्वारा कई बार शिकायत निर्वाचन आयोग को भेजी गई। कि पुलिस/ प्रशासन भाजपा कार्यकर्ताओं का पिट्ठू बनकर कार्य कर रहा है।और यह भी बताया गया कि एक जाति विशेष के पुलिसकर्मियों को जबरिया छुट्टी देकर घर भेज दिया गया है। और इनको निर्वाचन कार्य से मुक्त किया गया है। और इस उपनिर्वाचन में कई जगह पुलिस द्वारा समाजवादी पार्टी और राष्ट्रीय लोक दल के कार्यकर्ताओं को धमका कर पोलिंग बूथ पर ना भटकने की सख्त हिदायतें दी गई।और वोटिंग वाले दिन तो यह स्थिति हो गई कि कई ऑडियो और वीडियो में पुलिस प्रशासन राष्ट्रीय लोक दल और समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओं को धमकाते नजर आए हैं।मगर देखा गया है कि पहले निर्वाचन आयुक्त इतने स्वाभिमानी और सख्त हुआ करते थे, कि निर्वाचन आयोग की साख पर बट्टा न लगे, वह उस अधिकारी को वह चाहे कितना भी बड़ा पावरफुल क्यों ना हो, उसको निर्वाचन कार्य से तत्काल हटाकर वेटिंग में डाल दिया जाता था। और भविष्य में उसको निर्वाचन कार्य से दूर रखा जाता था। और उसकी साख और कर्तव्य शैली पर पर बट्टा लग जाता था।ऐसे स्वाभिमानी निर्वाचन आयुक्त का नाम टीएन शेषन जिन्होंने निर्वाचन आयुक्त की पावर क्या होती है सत्ताधारी पार्टी को दिखा दिया था। और सरकार के दबाव प्रभाव में काम नहीं किया था। आज भी इनका नाम जनता जनार्दन में चर्चा का विषय बना हुआ है।मगर आज निर्वाचन आयोग किस तरह काम कर रहा है पूरा देश देख रहा है।
आप आने वाले लोकसभा चुनाव में किसको वोट करेंगे?