जेपीएनआईसी के गेट को एलडीए ने किया बंद, गेट फांदकर अंदर पहुंचे सपा अध्यक्ष।
सपा अध्यक्ष बोले अगर भाजपा को यही मंजूर है तो संपूर्ण क्रांति का आह्वान करना पड़ेगा।
Sk News Agency-UP
लखनऊ 11अक्टूबर 2023
(ब्यूरो डेस्क) न्यूज़ एजेंसी नेटवर्क ———-समाजवादी चिंतक चिंतक लोकनायक जयप्रकाश नारायण की जयंती पर आज बुधवार को समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को गोमती नगर स्थित जेपीएनआईसी लोकनायक की प्रतिमा पर माल्यार्पण करना था।तो इस कार्यक्रम को रोकने के लिए एलडीए ने मंगलवार की देर शाम को गेट पर ताला जड़ दिया था। और हदें तो तब पर हो गई जब कोई गेट के अंदर ना जा सके इसके लिए लोहे की चादर की दीवार भी लगा दी गई थी।समाजवादी पार्टी के प्रदेश कार्यालय की ओर से एलडीए के उपाध्यक्ष डॉ इंद्रमणि त्रिपाठी से माल्यार्पण कार्यक्रम की अनुमति मांगी गई थी। लेकिनएलडीए ने सुरक्षा कारणों का हवाला देते हुए संपादक अखिलेश यादव को परिसर के अंदर माल्यार्पण कार्यक्रम की अनुमति देने से मना कर दिया था।
तय समय पर समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अपने समर्थकों के साथ पहुंचे तो गेट पर ताला लगा पाया।इसके बाद सभा अध्यक्ष परिसर का मुख्य गेट फांधकर अंदर प्रवेश किया। और उनकी देखा देखी उनके समर्थक भी गेट फांदकर अंदर पहुंच गए और जयप्रकाश नारायण की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित।इस मामले को लेकर सपा अध्यक्ष ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट में लिखा कि महान समाजवादी विचारक, सामाजिक न्याय के प्रबल प्रवक्ता लोकनायक जयप्रकाश नारायण की जयंती पर अब क्या सपा को माल्यार्पण करने से रोकने के लिए यह टीन की चादरें लगाकर जेपीएनआईसी का रास्ता रोका जा रहा है।
आपको अवगत कराते चलें कि चलें कि जेपीएनआईसी को लेकर समाजवादी पार्टी और उत्तर प्रदेश सरकार में लंबी तकरार चल रही है।जीपीएनआईसी अखिलेश यादव का ड्रीम प्रोजेक्ट था लेकिन भारतीय जनता पार्टी की सरकार आने के बाद इस प्रोजेक्ट को रोक दिया गया था । इस प्रोजेक्ट पर सरकार ने कई गंभीर आरोप भी लगाए थे। पिछले दिनों अखिलेश यादव ने कुछ टीवी चैनलों को दिए इंटरव्यू में इस परिसर की मौजूदा खस्ताहाल को दिखाया था ।जिसके बाद मौजूदा एलडीए के कर्मियों पर कार्रवाई भी की गई थी।अखिलेश यादव ने कहा कि बीजेपी लोकनायक जयप्रकाश नारायण जी के महंगाई, भ्रष्टाचार, बेकारी -बेरोजगारी के खिलाफ छेड़े गए आंदोलन की स्मृति को दोहराने से डर रही है। क्योंकि भारतीय जनता पार्टी के राज्य में तो भ्रष्टाचार, बेकारी -बेरोजगारी और महंगाई तब से कई गुना बढ़ गई है। अब क्या माल्यार्पण के लिए भी जयप्रकाश नारायण जी की तरह “संपूर्ण क्रांति “का आवाहन करना पड़ेगा ,अगर बीजेपी को यही मंजूर है तो यही सही।माल्यार्पण के बाद समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव अपने समर्थकों के साथ वापस लौट गए। इसके बाद मुख्य गेट को पुलिस ने पूरी तरह से अपने कब्जे में लिया। कुछ देर बाद भीड़ भी वहां चली गई, और जाम भी खुल गया।पूरे घटनाक्रम को देखते हुए समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव शिवपाल सिंह यादव ने इसे सरकार द्वारा की गई दमनात्मक व क्रूर करवाई करार दिया। और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा कि “सत्ता के दमन की क्रूर हदें व सरहदें समाजवादी विचारधारा को किसी सीमा में नहीं बांध सकती”जय लोहिया, जय जयप्रकाश,जय समाजवाद।
आपको बताते चलें कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ विपक्ष पर दमनकारी नीतियां अपनाते चले जा रहे हैं।जबकि के लोकतंत्र में प्रत्येक आदमी को अपनी बात सरकार तक पहुंचाने का पूर्ण अधिकार है।अखिलेश यादव की सरकार में प्रदेश के धरना स्थल आंदोलनकारियों से भरे पड़े रहते थे।जो कि आज सरकार की दमनकारी नीतियों के डर से खाली पड़े रहते हैं।जनता जनार्दन का कहना है कि इस सरकार में दलाली रुकी है ना दलाल रुके हैं। कार्य सब वही हो रहे हैं,जो पिछली सरकारों में होते थे।सिर्फ दलाली का रेट बढ़ गया है।और इस सरकार में जिस अधिकारी ने अपनी इमानदारियों और कर्तव्य निष्ठा के साथ अपने दायित्व का निर्वाह करने की कोशिश की है। तो उसको तत्काल प्रभाव से हटा दिया गया है ।ऐसे भी उदाहरण सामने आ रहे हैं।पूरे प्रदेश में ग्रामीण अंचलों की सड़कें उखड़ी पड़ी हैं। मगर सरकार उस ओर ध्यान नहीं देकर विपक्ष पर दमनकारी नीतियां अपना रही है।पूरे प्रदेश में किसानों की फसल को छुट्टा गोवंश नष्ट कर रहे हैं। मगर सरकार कागजों में सभी का समाधान कर रही है। यह तो सिर्फ उदाहरण हैं -यदि आम जनता जनार्दन की समस्यात्मक लिस्ट बनाई जाए तो बहुत लंबी हो सकती है।और यदि समय रहते भारतीय जनता पार्टी नहीं चेती तो आने वाले लोकसभा चुनाव में भारी खामियाजा उठाना पड़ सकता है।जबकि प्रदेश के मुख्यमंत्री जनता जनार्दन की समस्याओं को जड़ से खत्म करने के लिए दिन-रात एक ही हुए।धरातल पर जाकर देखा जाए तो सरकार की कल्याणकारी नीतियां और योजनाएं धरातल पर नहीं पहुंची है।
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