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जयंत का भाजपा से गठबंधन करना पड़ा महंगा, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष ने दिया इस्तीफा।

राष्ट्रीय उपाध्यक्ष को जयंत चौधरी का भाजपा से गठबंधन करना रास नहीं आया।

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लखनऊ  01-04-2024

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ब्यूरो डेस्क————————–राष्ट्रीय लोकदल के अध्यक्ष जयंत चौधरी ने जब से भारतीय जनता पार्टी से गठबंधन किया है तभी से पार्टी के अंदर असंतोष के सुर दिखाई दे रहे हैं।इसी गठबंधन से नाराज होकर पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष साहिद सिद्दीकी की ने पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष पद से त्यागपत्र दे दिया है।पार्टी के अंदर लगातार गुटबंदी होती दिखाई दे रही है।उन्होंने राष्ट्रीय अध्यक्ष को भेज अपने त्यागपत्र में उन्होंने लिखा है कि वह लोकतंत्र को समाप्त होता नहीं देख सकते हैं।उन्होंने कहा है कि हमने लगतार 6 वर्षों तक एक दूसरे के साथ काम किया है और हम एक दूसरे का सम्मान भी करते हैं। उन्होंने लिखा है कि मैं एक तरह से आपको सहकर्मी से अधिक छोटे भाई के रूप में देखता हूं।उन्होंने आगे लिखाहै कि हम महत्वपूर्ण मुद्दों पर और विभिन्न समुदायों के बीच भाईचारे और सम्मान का माहौल बनाने में एक साथ खड़े हुए हैं। धर्मनिरपेक्षता और हम दोनों जिन संवैधानिक मूल्यों को संजोते हैं, उनके प्रति आपकी प्रतिबद्धता पर कोई संदेह नहींकर सकता। आपके दिवंगत दादा भारत रत्न चौधरी चरण सिंह जी आपके पिता चौधरी अजीत सिंह जी और आपकी समय से आप सभी और वास्तव में आपके द्वारा बनाई गई पार्टी इन मूल्यों के साथ खड़ी रही है।उन्होंने आगे लिखा है कि मैं देश के लोकतांत्रिक ढांचे को समाप्त होते हुए नहीं देख सकता।उन्होंने यह भी लिखा है कि मैं राष्ट्रीय अध्यक्ष जयंत चौधरी और लोक दल के सभी साथियों का आभारी हूं।उन्होंने यह भी लिखा है कि मैंने  लोकदल के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष पद और उसकी सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है।उन्होंने लिखा कि मैं और मेरा परिवार इंदिरा गांधी के आपातकाल के खिलाफ खड़े हुए थे। आज उन सभी संस्थाओं को कमजोर  होते हुए नहीं देख सकते। जिन्होंने एकजुट होकर भारत को दुनिया के महान देश में से एक बनाया है।आपको बताते चलें कि पश्चिम में राष्ट्रीय लोकदल का मजबूत वोट बैंक था।और पिता की राह पर चलते हुए जयंत चौधरी उसे खोते हुए दिखाई दे रहे हैं।पश्चिमी लोगों का कहना है कि जिस भारतीय जनता पार्टी ने किसानों पर लाठियां बरसाई हैं, जयंत चौधरी ने भी अपने पिता की राह पर चलते हुए अपना हित साधते उसी पार्टी से समझौता किया है।आपको बताते चलें कि कुछ महीनो पूर्व जयंत चौधरी भारतीय जनता पार्टी के खिलाफ जाने क्या-क्या आग उगलते थे।आज उसी पार्टी में शामिल होकर मलाई काट रहे हैं।लोगों का कहना है कि जयंत चौधरी का वही हाल होने जा रहा है ,जो उनके पिता का हो गया था।आपको ज्ञात रहे कि राष्ट्रीय लोक दल के किसी समय चार-चार दर्जन सांसद हुआ करते थे। मगर पार्टी  बदल बदल कर चौधरी अजीत सिंह ने अपना वह क्रेज खराब कर लिया था ,कि अंत में हुए स्वयं और जयंत चौधरी भी लोकसभा में नहीं पहुंच पाए थे।और उनके लोक दल का राज्य स्तरीय पार्टी का दर्जा भी समाप्त हो गया था। मगर भला हो अखिलेश यादव का जिन्होंने जयंत चौधरी से गठबंधन करने के बाद उनको समाजवादी पार्टी के कोटे से राज्यसभा में भेजा ।और विधानसभा चुनाव में  गठबंधन करके आधा दर्जन से ज्यादा नुमाइंदे विधानसभा में भिजवाए।और लोकसभा  चुनाव में भी उनको सात सीटें  दी जा रही थी।मगर सात सीटें न लेकर उन्होंने दो सीटें लेना उचित समझा। और भारतीय जनता पार्टी के गठबंधन में शामिल हो गए।

रिपोर्ट-मीडिया रिपोर्ट्स एवं जनता जनार्दन से बातचीत के आधार पर

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