- शनि के नक्षत्र बदलने से कोरोना महामारी का प्रभाव और कम हो सकता है, व्यापारियों को मिल सकता है लाभ
शनिवार, 23 जनवरी 2021 को शनि उत्तराषाढ़ा नक्षत्र से श्रवण नक्षत्र में प्रवेश कर रहा है। कुछ पंचांगों के अनुसार शनि का नक्षत्र परिवर्तन 22 जनवरी को हो गया है। अभी ये ग्रह मकर राशि में ही है। उत्तराषाढ़ा नक्षत्र के स्वामी सूर्य हैं। शनि सूर्य से शत्रु भाव रखते है। उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के अनुसार शनि 28 दिसंबर 2019 से 23 जनवरी 2021 तक सूर्य के नक्षत्र में रहा है। शनि की स्थिति की वजह से पूरी दुनिया अस्थिर रही। लेकिन, अब ये परिस्थितियां बदलेंगी।
पं. शर्मा के अनुसार शनि के श्रवण नक्षत्र में आने से अशांति समाप्त हो जाएगी। हिंसा, युद्ध जैसे हालात, महामारी और ऐसी अन्य समस्याएं खत्म होने लगेंगी। हिंदी पंचांग का नया वर्ष 13 अप्रैल 2021 से शुरू होगा। इस संवत् का नाम आनंद है। आनंद नाम का संवत्सर सभी के लिए आनंद और सुख लेकर आएगा। व्यापार में उन्नति होगी।
फरवरी 2022 तक श्रवण नक्षत्र में रहेगा शनि
जैसे-जैसे शनि उत्तराषाढ़ा नक्षत्र से श्रवण नक्षत्र की ओर बढ़ रहा था, कोरोना महामारी का असर कम होने लगा था। अब शनि के श्रवण नक्षत्र में आने से इस महामारी का प्रभाव और कम हो जाएगा। श्रवण नक्षत्र में शनि 18-19 फरवरी 2022 तक रहेगा। इसके बाद ये ग्रह धनिष्ठा नक्षत्र में प्रवेश करेगा।
शनि, गुरु और सूर्य एक साथ रहेंगे श्रवण नक्षत्र में
शनि, गुरु और सूर्य भी श्रवण नक्षत्र में ही हैं। सूर्य और गुरु का फल शुभ रहेगा। श्रवण नक्षत्र का स्वामी चंद्र है। वराहमिहिर ने अपने ग्रंथ बृहत्संहिता में लिखा है कि श्रवण नक्षत्र में शनि हो तो सरकार या राजा के अधिकारी को कष्ट होता है। शनि की इस स्थिति की वजह से कोई गंभीर रोग प्रजा यानी जनता के लिए नुकसानदायक नहीं होता है। व्यापारियों के लिए ये समय अच्छा फल देने वाला रहेगा।
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