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एसीपी और महिला सिपाही पर पर होमगार्ड ने लगाया झूठा कप धुलवाने का आरोप।

होमगार्ड ने पुलिस कमिश्नर को दिया लिखित शिकायती पत्र।

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जनपद –गाजियाबाद 

(ब्यूरो डेस्क )न्यूज़ एजेंसी संवा सूत्र——पुलिस द्वारा होमगार्ड स्वयंसेवकों से अच्छा व्यवहार नहीं करने की शिकायतें रुकने का नाम नहीं ले रही हैं।जबकि होमगार्ड विभाग के उच्च अधिकारी एवं होमगार्ड मंत्री लगातार प्रयासरत हैं कि होमगार्ड जवानों के साथ वैतनिक कार्मिकों द्वारा अच्छा व्यवहार किया जाये।उन्हें दोयम दर्जे का कर्मचारी न समझा जाये।ऐसा ही मामला उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद जनपद में आया है। होमगार्ड स्वयंसेवक  जसवीर सिंह ने पुलिस कमिश्नर अजय कुमार मिश्रा को दिए शिकायती पत्र में आरोप लगाया है । कि सोमवार को मुझे एसीपी वेव सिटी के कार्यालय ड्यूटी के लिए भेजा गया था। और उसी  ड्यूटी के दौरान थाना प्रभारी वेव सिटी  आए तो मुझे एसीपी ने दुकानदार से दो चाय मंगवाने को कहा।जब मेरे द्वारा दुकानदार से चाय लाकर कप में डालकर दे दी। और चाय पीने के बाद मुझे एसीपी ने बुलाकर कहा कि कप उठा कर ले जाओ।यह बात सुनकर मुझे कुछ बुरा सा लगा। मैंने कप उठाकर अलग रख दिए।कुछ समय बाद एसीपी कार्यालय में कार्यरत महिला सिपाही नीलम चौधरी ने कहा कि दोनों कप धोकर लाकर मुझे  दे दो।होमगार्ड स्वयंसेवक जसवीर सिंह का कहना है कि यह काम मेरा नहीं है “झूठा कप धोकर में वर्दी का अपमान नहीं कर सकता”।

इस संबंध में पुलिस कमिश्नर अजय कुमार मिश्रा ने मीडिया को बताया कि होमगार्ड स्वयंसेवक द्वारा लगाए जा रहे आरोपों की जांच कराई जाएगी। और जांच होने के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी।

आपको बताते चलें कि होमगार्ड स्वयंसेवकों की नियुक्ति पुलिस के सहायक के रूप में की जाती है ना कि चपरासी के रूप में।प्रदेश के सभी जनपदों में उच्च अधिकारियों के यहां  अधीनस्थों द्वारा सिर्फ साहब को खुश करने के लिए होमगार्ड स्वयंसेवक बिना किसी आदेश निर्देश के लगा दिए जाते हैं।जबकि होमगार्ड स्वयंसेवकों को आने-जाने के लिए यात्रा भत्ता भी नहीं मिलता है ।और वह अपने किराए से ,भेजे गए ड्यूटी स्थल पर पहुंचते हैं।जबकि उनके बंगले पर  कोई ड्यूटी नहीं होती है। केवल उनके अधीनस्थ उनको खुश करने के लिए उनके आवास पर होमगार्ड स्वयं सेवकों को लगा देते है।जोकि होमगार्ड स्वयंसेवकों के साथ शरासर अन्याय है। यदि ड्यूटी सॉफ्टवेयर के माध्यम से आती है तो वह ड्यूटी एक नंबर मानी जाएगी। अन्यथा अधीनस्थों द्वारा अपने उच्च अधिकारियों को खुश करना अच्छी बात नहीं  है।यह जांच का विषय हो सकता है।कहीं-कहीं तो सरकारी बंगलो पर साहब को खुश करने के लिए होमगार्ड स्वयंसेवकों को साहब का दूध लाने से लेकर फसलों की निराई-गुढाई और पालतू जानवरों के रखरखाव के लिए भी लगा दिया जाता है।

खबर–+ न्यूज़ एजेंसी  संवाद सूत्र एवं मीडिया रिपोर्ट्स के आधार पर 

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