एक युवा का ऐसा जन्मोत्सव जिसकी चारों तरफ हो रही है चर्चा।
रवि राज ने अपना जन्मदिन नहीं जन्मोत्सव वृद्ध आश्रम में जाकर मनाया।
जनपद एटा
आज के दौर में युवा वर्ग अपने साथियों के साथ रेस्तरां, क्लब या हाईवे पर शराब की बोतलों को खोलकर हुल्लड़ के साथ मनाते हैं।मगर आज की इस चकाचौंध में रवि राज यादव ने अपना जन्मदिन एटा स्थित वृद्ध आश्रम में जाकर वृद्ध जनों के साथ मनाया। और इस जन्मोत्सव पर उन्होंने सभी वृद्ध जनों का स्वास्थ्य चेकअप एवं ज्ञानवर्धक चर्चा और बिना दवाइयों के स्वस्थ रहने की युक्तियां बतायीं। और साथ ही साथ योग एवं प्राणायाम और उसके बाद प्रसाद वितरण का कार्यक्रम हुआ।आपको बताते चलें कि पिलुआ थाना क्षेत्र के गांव नगला बेल निवासी शिवकमार के पुत्र रवि राज एमबीबीएस की पढ़ाई यूक्रेन में जाकर कर रहे हैं।उनका मानना है कि जिस चमक-दमक को आज का युवा विकास मानता है वह उसको विनाश मानते हैं।उनका कहना है कि भारतवर्ष की युवा पीढ़ी का दुर्भाग्य ही कहा जाएगा कि इतनी तेजी से हर शहरों में वृद्ध आश्रम खुल रहे हैं। यह बहुत ही खेद की बात है।उनका कहना है कि आज हमारा समाज कितना दूषित होता जा रहा है कि जो मां बाप अपने बच्चों को जन्म से लेकर मरण उपरांत तक उनके लिए अच्छा ही सोचते हैं मगर आज के बच्चे उन माता-पिता के बारे में क्या सोचते हैं यह देखने का विषय है।आजकल देखा जा रहा है कि जब माता-पिता को बुढ़ापे में सहारे की जरूरत होती है तब वह अपने माता पिता को वृद्ध आश्रम में छोड़ आते हैं। इसका मुख्य कारण नकारात्मक सोच एवं आधुनिक चकाचौंध है जो कि विनाश का कारण बनता जा रहा है। कुछ नकारात्मक लो आधुनिक जीवन की होड़ में या अज्ञान बस अपने मां-बाप बुजुर्गों का आदर सम्मान नहीं कर पा रहे हैं तो हम जैसे युवाओं को जाकर समाज के बीच रहकर लोगों को जागरुक करना होगा जिससे कि किसी के मां बाप को यह दिन देखने की नौबत ना आनी पड़े।रवि राज का कहना है कि मैं 4 देशों में घूम चुका हूं। और यूक्रेन जैसे देश में रहकर एमबीबीएस की पढ़ाई कर रहा हूं ।और मुझे वहां 3 साल रहते हो गए हैं, वहां के लोगों से मेरे काफी अच्छे संबंध है ,और मेरे बहुत अच्छे दोस्त भी हैं ।उन लोगों की परिवार व्यवस्था को जब मैंने करीब से जाकर देखा कि यह लोग तो वही जीवन जी रहे हैं परिवार के साथ अपने समाज के साथ जो भारतीय लोग धीरे-धीरे इस सभ्यता को खोते जा रहे हैं।वो कहते हैं कि उससे मुझे यह समझ आया कि हम भारतीय लोग सोच से बहुत पिछड़े हुए हैं जो कुसंस्कार विदेशी लोग छोड़ रहे हैं। वह आज की हमारी युवा पीढ़ी उन्हीं संस्कारों को अपना रही है। जबकि हमारी संस्कृति कितनी महान है हम युवाओं को जागृत होकर अपनी ही संस्कृति को अपनाकर कैसे जीवन खुशहाल हो इसका संस्कारित आचरण करना होगा। इसी सभ्यताएं को मैंने अपने जन्मोत्सव पर अपनाया है।
Sk News Agency.Com
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