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आरक्षण बनेगा पंचायत चुनाव की देरी का कारण ।

उत्तर प्रदेश में  त्रिस्तरीय  पंचायत चुनाव को लेकर  तैयारियां  तेज हो गई हैं ।  लेकिन पंचायतों में ग्राम प्रधानी और क्षेत्र पंचायत  सदस्य  एव जिला पंचायत सदस्यों की आने वाली आरक्षण सूची का इंतजार किया जा रहा है। सब की निगाह इस आरक्षण सूची पर टिकी है ।क्योंकि आरक्षण के बिना प्रत्यासी का चयन नहीं हो सकता है। आरक्षण सूची आने के बाद पता चलेगा कि कौन सी सीट किस जाति के लिए आरक्षित है ।पहले कयास  लगाए जा रहे थे ।कि सूची 22 जनवरी को  आरक्षण सूची  आ जाएगी ।लेकिन अभी तक कोई सूची नहीं आई है। अभी तक सरकार में बैठकों का दौर जारी है।उत्तर प्रदेश सरकार  के  एक राज्य  मंत्री के अनुसार स्थिति 15 फरवरी तक साफ हो सकती है।इस तारीख को लेकर चर्चाओं  का दौर चालू हो गया है ।कि पंचायत चुनाव में अभी देर हो सकती है ।

इस बार 52लाख अधिक  मतदाता अधिक डालेंगे। निर्वाचन आयोग ने 71जनपदों की वोटर लिस्ट भी जारी  दी है।इस बार 12.50 करोड़ मतदाता अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे। जबकि 2015 के चुनाव में कुल 11.76करोड़ मतदाता थे। कोरोना के कारण देरी से  होने जा रहे पंचायत  को लेकर पहले का जा रहा था कि चुनाव मई- जून तक हो  सकते हैं। और परीक्षाओं की वजह से अब मार्च अप्रैल में चुनाव की सरगर्मी देखने को मिल रही है। मगर यह इतना आसान नहीं है।

एक जनपद में एक दिन  में  ही  होगा मतदान ।

पहले पिछले चुनाव में एक जिले में विकासखंड   के हिसाब से चार चरणों में पंचायत  चुनाव होते  रहे हैं । मगर इस बार जिले के  सभी विकासखंडों में एक ही तारीख को होंगे पंचायत चुनाव। पुलिस भी कर रही है अपनी तैयारियां। पुलिस उन लोगों की लिस्ट तैयार कर रही है।  जिनका नाम पिछले लोकसभा विधानसभा एवं पंचायत चुनाव में आया हो। या उनके खिलाफ चुनाव में कोई कार्यवाही हो। ऐसे लोगों की लिस्ट बनाई जा रही।

आप आने वाले लोकसभा चुनाव में किसको वोट करेंगे?

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