जनपद एटा
आज हुए जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव में समाजवादी पार्टी की प्रत्याशी रेखा यादव विजय रहीं। जो कि पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष जुगेंद्र सिंह यादव की पत्नी हैं।समाजवादी पार्टी की प्रत्याशी रेखा यादव को 24 मत मिलेे। सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी की प्रत्याशी विनीता यादव को मात्र 4 मत मिले।वहीं दो मतदाताओं के मत अवैध पाए गए।पिछले कई दिनों से जिला पंचायत अध्यक्ष एटा का पद हथियाने के लिए भाजपा हर हथकंडे अपना रही थी।और भाजपा के एक बड़बोले नेता बोल रहे थे, कि परिणाम चौंकाने वाले होंगे। उनको यह याद नहीं रहा कि जिले की जनता जनार्दन ने पंचायत चुनाव में ही इनको बहुमत के आंकड़े से काफी दूर कर दिया था। चुनाव में सत्ताधारी दल को मात्र 4 सीटें ही मिली थी। वह भी तब जब एटा जनपद में सभी 4 विधायक भाजपा के हैं। लोकसभा सांसद राजवीर सिंह राजू हैं ,जलेसर विधानसभा की लोकसभा सीट आगरा से भाजपा के ही प्रोफेसर एसपी सिंह बघेल सांसद हैं।अलीगंज विधानसभा की लोकसभा सीट फर्रुखाबाद से भाजपा के ही मुकेश राजपूत सांसद हैं। और जनपद एटा के ही निवासी हरनाथ सिंह यादव भाजपा कोटे से राज्यसभा के सांसद हैं। इसी तरह एटा निवासी डॉ सच्चिदानंद हर साक्षी महाराज उन्नाव से भाजपा सांसद हैं। यह सभी पांचों सांसद जो जनपद से ताल्लुक रखते हैं।पंचायत जिला पंचायत चुनाव में भाजपा को सिर्फ 4 सीटें मिलना 4 विधायक और 5 सांसदों की लोकप्रियता पर बट्टा लगाती हैं।भाजपा के चारों विधायक और पांचों सांसद यदि जनता जनार्दन की आकांक्षाओं पर खरे उतरते तो शायद 4 सीटें नहीं मिलतीं। बहुमत के करीब होती भारतीय जनता पार्टी। मगर इतना सब होने के बावजूद भी इन बीजेपी के सुयोग्य नेताओं ने हार नहीं मानी। और सरकारी तंत्र के प्रयोग के साथ साथ तरह-तरह के हथकंडे अपनाने पर उतारू हो गए।हद तो तब हो गई जब राज्य निर्वाचन आयोग को जनपद के जिला अधिकारी एवं वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक की कार्यशैली को सुधारने के लिए पत्र लिखना पड़ा। ऐसा जिले में पहली बार हुआ कि किसी सत्ताधारी दल ने केवल बेईमानी की दम पर ला पंचायत अध्यक्ष का चुनाव सिर्फ 4 सीटों की दम पर एड़ी चोटी का जोर लगा दिया हो। इन अत्यंत आत्मश्वासी सत्ताधारी दल के नेताओं को सोचना चाहिए, कि जोड- तोड की 4 सीटों की दम पर वह चुनाव अध्यक्ष का कैसे जीत सकती है।